top of page

जलहीजीवन

  • Deepa Gupta,Ruchi Rami Patil
  • Dec 6, 2015
  • 1 min read

रंग पानी का कैसा हो, जब मैंने पूछा पानी से

इतराते हुआ पानी ने, मुझ से कहा कुछ ऐसे !

में लाल हूँ , मैं हरा, में नीला और में पीला;

बुन लो मुझे सतरंगों में , मैं पानी हूँ मुझ पे रंग चढ़े सभी का

में हूँ दुल्हन के सिन्दूर में, नवजात शिशु के आंसूं में !

में हूँ उन बेबस सूखी वीरानियों में, जो तरस रही पानी के हर एक बूँद के लिए

में हूँ उन नीले नदियों के धारों में, उन पनघट पे खेलते बच्चों की किलकारियों में

में हूँ उन सरंचनाओं के संघनो में , जो बनी हैं उन कारीगरों के पसीनें से

में हूँ जीवन के अंत में, समेटे दुनियाँ अनंत में

में हूँ हर जगह ! में जीवन हूँ, मुझे पहचानों !

मेरे रंग को क्या पूछते हो ? मेरा कोई रंग नहीं !

जो बेह जाये वेह पानी, जिस रंग में घुल जाये वही मेरी कहानी !

Author: Deepa Gupta,Ruchi Rami Patil,Sireesha Sudhakar Patnaik ; DRS Research and Consulting

All images courtesy the Author

 
 
 

Comments


Featured Posts
Recent Posts
Archive
Search By Tags
Follow Us
  • Facebook Basic Square
  • Facebook - Black Circle
  • Twitter - Black Circle
bottom of page